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नई दिल्ली: उत्तर भारत के दो बड़े राज्यों को जोड़ने वाले और देश की राजधानी के रूप में पहचान रखने दिल्ली की हालत इन दिनों खस्ता है। वजह है यहां रहने वाले लोगों के लिए इसी दिल्ली की जहर बन चुकी हवा। हवा भी इतनी जहरीली कि इसमें सांस लेना हर दिन 10-20 सिगरेट पीने के बराबर है। लेकिन, क्या आप सोच सकते हैं कि इसी दिल्ली में एक घर ऐसा है, जहां रहने वालों के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई महज 15 है। चौंक गए ना... लेकिन ये सच है। आइए, आपको इस करिश्माई घर के दर्शन कराते हैं।दिल्ली में प्रदूषण का कहर हर साल बढ़ता ही जा रहा है। एक्यूआई तो 400 के पार हर साल ही पहुंच जाता है, जिसमें सांस लेना... मतलब मौत को वक्त से पहले बुलावा देना। लेकिन, इसी दिल्ली में पीटर सिंह और उनकी पत्नी नीनो कौर ने अपने घर को एक स्वर्ग में बदल दिया है। एक ऐसा स्वर्ग, जहां एक्यूआई भी महज मात्र 15 है। वो आंकड़ा, जो किसी हिल स्टेशन को होता है।
पीटर और नीनो के इस का तापमान दिल्ली की भीषण गर्मी में भी 25 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होता। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे...तो जवाब भी सुन लीजिये। यह सब संभव हुआ है एक्वापोनिक्स तकनीक से। पीटर और नीनो का यह सफर नीनो को कैंसर होने के बाद शुरू हुआ। अपनी जीवनशैली को पूरी तरह से बदलने का फैसला करके, उन्होंने एक्वापोनिक्स तकनीक अपनाई।
पीटर और नीनो के इस का तापमान दिल्ली की भीषण गर्मी में भी 25 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होता। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे...तो जवाब भी सुन लीजिये। यह सब संभव हुआ है एक्वापोनिक्स तकनीक से। पीटर और नीनो का यह सफर नीनो को कैंसर होने के बाद शुरू हुआ। अपनी जीवनशैली को पूरी तरह से बदलने का फैसला करके, उन्होंने एक्वापोनिक्स तकनीक अपनाई।
क्या है एक्वापोनिक्स?
एक्वापोनिक्स एक ऐसी तकनीक है, जिसमें मछली पालन और बिना मिट्टी के पौधे उगाना एक साथ किया जाता है। आज उनका घर एक हरे-भरे बगीचे के रूपए में बदल चुका है, जहां 15 हजार से भी ज्यादा पौधे लगे हैं। खास बात यह है कि इतने सारे पौधे बिना मिट्टी और बिना किसी रासायनिक खाद के उगाए गए हैं।पानी की एक-एक बूंद का इस्तेमाल
इस बात को ऐसे समझिए कि पीटर और नीनो ने अपने घर में चार बड़े-बड़े मछली के टैंक बनाए हैं। इन्हीं टैंकों के पानी में मौजूद अमोनिया पौधों के लिए खाद का काम करती है और बदले में पौधे पानी को साफ करते हैं जो वापस टैंकों में चला जाता है। इस प्रक्रिया में पानी की भी बहुत बचत होती है। यहां हर दिन सिर्फ़ 1,000 लीटर पानी का ही इस्तेमाल होता है और हर बूंद का फिर से इस्तेमाल किया जाता है।घर पर ही ऑर्गेनिक सब्जियां
पीटर और नीनो ने अपने घर को पूरी तरह से टिकाऊ बनाने की भी ठान ली है। यहां तक कि सब्ज़ियां, मक्का और मसाले भी घर पर ही उगाए जाते हैं। रसोई से निकलने वाले कचरे से खाद बनाई जाती है। बारिश के पानी को आधुनिक तकनीकों से एकट्ठा किया जाता है और इस्तेमाल हुए पानी को रीसायकल किया जाता है।स्कूलों में भी एक्वापोनिक्स को बढ़ावा
पीटर सिंग की पत्नी नीनो का कहना है, 'हम दिखाना चाहते हैं कि हम कैसे रहते हैं। अगर उम्र के इस दौर में हम यह कर सकते हैं, तो फिर कोई भी कर सकता है।' पीटर और नीनो सिर्फ़ अपने लिए ही नहीं, बल्कि दूसरों को भी जागरूक करने के लिए जी रहे हैं। वे दिल्ली के स्कूलों में एक्वापोनिक्स को बढ़ावा दे रहे हैं और ऑनलाइन क्लास के ज़रिये लोगों को अच्छी और टिकाऊ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
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